शीशे के कुछ रंगीन टुकड़े, बारी-बारी से , अपने आँखों पे लगा, वो देख रहा था। शीशे के कुछ रंगीन टुकड़े, बारी-बारी से , अपने आँखों पे लगा, वो देख रहा थ...
कभी दिखे तो कभी है छुपती लूका छिपी में दिन भर खपती कभी दिखे तो कभी है छुपती लूका छिपी में दिन भर खपती
प्रिय सखी माधवी को समर्पित प्रिय सखी माधवी को समर्पित
तुम देखो एक नज़र मुझे, मेरी हर नज़र कहे तुमसे, खफ़ा नहीं कुछ रुठी हूँ तुमसे। तुम देखो एक नज़र मुझे, मेरी हर नज़र कहे तुमसे, खफ़ा नहीं कुछ रुठी हूँ तुमसे।
जिस्म के आकार के इतने सन्दूक बना रहा है, जिस्म के आकार के इतने सन्दूक बना रहा है,
बदलना जमाने की फितरत बनी तमन्ना तेरी ओर ढलती रही।नजर का इशारा मिला आपका जवां दिल की हसरत मचलती रही। बदलना जमाने की फितरत बनी तमन्ना तेरी ओर ढलती रही।नजर का इशारा मिला आपका जवां दिल...